Book Name:Mojiza-e-Mairaj
)4(...गुम्बद नुमा ख़ैमे
एक और ह़दीसे पाक में है : सफ़रे मेराज की सुहानी रात में जन्नत की सैर करते हुवे तमाम नबियों के इमाम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने मोतियों से बने हुवे गुम्बद की त़रह़ के ख़ैमे देखे जिन की मिट्टी मुश्क थी । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने ह़ज़रते जिब्राईल عَلَیْہِ السَّلَام से पूछा : ऐ जिब्रईल ! येह किस के लिए हैं ? अ़र्ज़ की : ऐ मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) ! येह आप की उम्मत के इमामों और मोअज़्ज़िनों के लिए हैं । (المسند للشاشى ، مسند عبادة بن الصامت ، ٣ / ٣٢١ ، الحديث : ١٤٢٨)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
एह़साने मूसा और नमाज़ों की तरग़ीब
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! जो रिवायात अभी हम ने सुनीं, उन से हमें येह तरग़ीब मिल रही है कि हम न सिर्फ़ ग़ुस्सा दबाएं और दूसरों को मुआ़फ़ करें बल्कि जहां भी मौक़अ़ मिले, अहल होने की सूरत में इमामत भी कराएं और अज़ान भी दिया करें, इस के साथ साथ नमाज़ पढ़ने की भी आ़दत बनाएं । नमाज़ एक ऐसी इ़बादत है जो अल्लाह पाक ने अपने मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को मेराज की रात में बत़ौरे तोह़फ़ा अ़त़ा फ़रमाई । चुनान्चे,
जब रसूले ख़ुदा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم, अल्लाह पाक का दीदार कर के वापस छटे आसमान पर ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام के पास पहुंचे, तो वोह अ़र्ज़ करने लगे : ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के रब्बे करीम ने ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की उम्मत पर क्या फ़र्ज़ फ़रमाया ? इरशाद फ़रमाया : पचास नमाज़ें । इस पर ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : वापस अपने रब्बे करीम के पास जाइए और उस से कमी का सुवाल कीजिए क्यूंकि आप की उम्मत से येह नहीं हो सकेगा, मैं ने बनी इसराईल को आज़मा कर देख लिया है और उन का तजरिबा कर लिया है । येह सुन कर ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم वापस अल्लाह पाक की बारगाह में ह़ाज़िर हुवे और अ़र्ज़ की : ऐ मेरे रब्बे करीम ! मेरी उम्मत पर कमी फ़रमा । अल्लाह पाक ने पांच नमाज़ें कम कर दीं । ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم वापस ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام के पास तशरीफ़ लाए और फ़रमाया : अल्लाह पाक ने पांच नमाज़ें कम कर दी हैं । ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने फिर वोही अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की उम्मत से येह न हो सकेगा, वापस अपने रब्बे करीम के पास जाइए और उस से कमी का सुवाल कीजिए । येह सिलसिला यूंही चलता रहा कि ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم, रब्बे काइनात की बारगाह में ह़ाज़िर होते, तो वोह पांच नमाज़ें कम फ़रमा देता फिर ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام के पास तशरीफ़ लाते, तो वोह और कमी का अ़र्ज़ कर के वापस रब्बे करीम की बारगाह में जाने की अ़र्ज़ करते । ह़त्ता कि अल्लाह पाक ने फ़रमाया : ऐ मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) ! दिन और रात में येह पांच नमाज़ें हैं और हर नमाज़ का सवाब दस गुना है, इस त़रह़ येह पचास नमाज़ें हुईं, जो नेकी का इरादा करे फिर उसे न करे, तो उस के लिए एक नेकी लिख दी जाएगी और अगर कर ले, तो दस