Book Name:Mojiza-e-Mairaj

भी अपनी मुबारक आंखों से देखा, कई अह़ादीसे मुबारका में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने उन चीज़ों को बयान भी फ़रमाया । आइए ! इस बारे में चार रिवायात सुनते हैं :

)1(...जन्नती नहरें और परिन्दे

          ह़ुज़ूर नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم फ़रमाते हैं : (मेराज की रात) मेरा दाख़िला जन्नत में हुवा, मैं ने देखा उस के संगरेज़े (यानी छोटे छोटे पथ्थर) मोतियों के और उस की मिट्टी मुश्क की थी । (بخارى ،  كتاب احاديث الانبياء ،  باب ذكر ادريس عليه السلام ،  ۲ / ۴۱۷  ،  حديث : ۳۳۴۲  ، ملتقطاً) फिर मैं ने नहरें देखीं, एक पानी की जो तब्दील नहीं होता, दूसरी दूध की जिस का ज़ाइक़ा नहीं बदलता, तीसरी शराब की जिस में पीने वालों के लिए सिर्फ़ लज़्ज़त है (नशा बिल्कुल नहीं), चौथी नहर पाकीज़ा और साफ़ सुथरे शहद (Honey) की, जन्नत के परिन्दे ऊंटों की त़रह़ थे, उस (जन्नत) में अल्लाह करीम ने अपने नेक बन्दों के लिए ऐसे ऐसे इनआ़मात तय्यार कर रखे हैं जिन्हें किसी आंख ने देखा, न किसी कान ने सुना और न किसी इन्सान के दिल में उस का ख़याल आया । (دلائل النبوة للبيهقى ،  جماع ابواب المبعث ،  باب الدليل...بالافق الاعلٰى ، ۲ / ۳۹۴ ، ملتقطاً)

)2(...सोने से आरास्ता एक मह़ल

          ह़ज़रते अबू बुरैदा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ बयान करते हैं, रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : (मेराज की रात) जब मैं जन्नत में दाख़िल हुवा, तो सोने से आरास्ता एक मह़ल के पास से मेरा गुज़र हुवा । मैं ने पूछा : لِمَنْ هٰذَا الْقَصْرُ येह मह़ल किस का है ? फ़िरिश्तों ने अ़र्ज़ की : لِرَجُلٍ مِّنَ الْعَرَبِ येह एक अ़रबी नौजवान का है । मैं ने कहा : اَنَا عَرَبِیٌّ मैं अ़रबी हूं । फ़िरिश्तों ने अ़र्ज़ की : لِرَجُلٍ مِنْ قُرَيْشٍ येह एक क़ुरशी नौजवान का है । मैं ने कहा : اَنَاقُرَشِیٌّ मैं क़ुरशी हूं । फ़िरिश्तों ने अ़र्ज़ की : لِرَجُلٍ مِّنْ اُمَّۃِ مُحَمَّدٍ येह उम्मते मुह़म्मदिय्या के एक शख़्स का है । मैं ने कहा : اَنَا مُحَمَّدٌ मुहम्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) तो मैं हूं । फ़िरिश्तों ने अ़र्ज़ की : لِعُمَرَ بْنِِ الْخَطَّابِ येह मह़ल ह़ज़रते उ़मर बिन ख़त़्त़ाब رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का है । नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : मैं ने चाहा कि  मैं उस मह़ल में दाख़िल हो जाऊं ताकि उसे देख सकूं मगर मुझे तुम्हारी ग़ैरत याद आ गई । येह सुन कर अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते उ़मर फ़ारूके़ आज़म رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ अ़र्ज़ करने लगे : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ! मेरे मां-बाप आप पर क़ुरबान ! क्या मैं आप पर भी ग़ैरत करूंगा ? (بخاری ،  کتاب فضائل اصحاب النبی ، باب مناقب عمر بن الخطاب ۔ ۔ ۔ الخ ،  ۲ / ۵۲۵ ،  حدیث : ۳۶۷۹)

)3(...बुलन्दो बाला मह़ल्लात

          ह़दीसे पाक में है : मेराज की रात जन्नत में रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने चन्द बुलन्दो बाला मह़ल्लात देखे, जिन के बारे में पूछने पर ह़ज़रते जिब्रईल عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : येह ग़ुस्सा पीने वालों और लोगों को मुआ़फ़ करने वालों के लिए हैं और अल्लाह पाक एह़सान करने वालों को पसन्द फ़रमाता है । (مسند الفردوس ،  باب الراء ،  ٢ / ٢٥٥ ، حديث : ٣١٨٨  ، مفھوماً)