Book Name:Mojiza-e-Mairaj

पेहली ह़िक्मत

          वोह तमाम मोजिज़ात और दरजात जो अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام को अलग अलग अ़त़ा फ़रमाए गए, वोह तमाम बल्कि उन से बढ़ कर (कई मोजिज़ात) ह़ुज़ूरे पुरनूर عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام को अ़त़ा हुवे, मसलन ह़ज़रते मूसा (عَلَیْہِ السَّلَام) को येह दरजा मिला कि वोह कोहे त़ूर पर जा कर रब्बे (करीम) से कलाम करते थे, ह़ज़रते ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام चौथे आसमान पर बुलाए गए और ह़ज़रते इदरीस عَلَیْہِ السَّلَام जन्नत में बुलाए गए, तो ह़़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को मेराज कराई गई, जिस में अल्लाह पाक से कलाम भी हुवा, आसमान की सैर भी हुई, जन्नत व दोज़ख़ का मुआ़इना भी हुवा, ग़रज़ येह कि वोह सारे मरातिब जो अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام को जुदा जुदा मिले थे, हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को एक ही मेराज में सब के सब त़ै करा दिए गए । (शाने ह़बीबुर्रह़मान, स. 106, मुलख़्ख़सन)

दूसरी ह़िक्मत

          मेराज की दूसरी ह़िक्मत बयान करते हुवे ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : यूं तो तमाम पैग़म्बरों ने अल्लाह पाक की और जन्नत व दोज़ख़ की गवाही दी और उन तमाम ने अपनी अपनी उम्मतों से اَشْہَدُ اَنْ لَّا ۤاِلٰہَ اِلَّااللہ भी पढ़वाया मगर उन ह़ज़रात (अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام) में से किसी की गवाही देखी हुई न थी और गवाही की इन्तिहा देखने पर होती है, तो ज़रूरत थी कि उन अम्बियाए किराम (عَلَیْہِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام) की जमाअ़ते पाक में से कोई ऐसी हस्ती भी हो कि जो इन तमाम चीज़ों को देख कर गवाही दे, उस की गवाही पर शहादत की तक्मील (यानी गवाही मुकम्मल) हो जाए । येह शहादत की तक्मील ह़ुज़ूर عَلَیْہِ السَّلَام की ज़ात पर हुई (कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने इन तमाम चीज़ों को अपनी मुबारक आंखों से देखा और इस की गवाही भी दी) । (शाने ह़बीबुर्रह़मान, स. 106, मुलख़्ख़सन)

तीसरी ह़िक्मत

          मेराज की तीसरी ह़िक्मत बयान करते हुवे ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूर عَلَیْہِ السَّلَام, अल्लाह पाक की अ़त़ा से उस की तमाम सल्त़नत के मालिक हैं, इसी लिए जन्नत के पत्ते पत्ते पर बल्कि जन्नत में हर जगह (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) لَآ اِلٰہَ اِلَّااللہُ مُحَمَّدٌرَّسُوْلُ اللہِ लिखा हुवा है, यानी येह चीज़ें अल्लाह पाक की बनाई हुई हैं और मुह़म्मदुर्रसूलुल्लाह (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) को दी हुई हैं, (तो मेराज करवाने में) अल्लाह पाक की मर्ज़ी येह थी कि मालिक को उस की मिल्किय्यत दिखा दी जाए । (शाने ह़बीबुर्रह़मान, स. 107, मुल्तक़त़न व मुलख़्ख़सन)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! सफ़रे मेराज में हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने कई अ़जाइबाते क़ुदरत को देखा । इस मुबारक सफ़र (Journey) की एक ख़ास बात येह थी कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने रब्बे करीम की एक अ़ज़ीमुश्शान निशानी, यानी "जन्नत" और वहां मौजूद नेमतों को