Book Name:Mojiza-e-Mairaj

और बारगाहे रिसालत से मिलने वाले इनआ़म की बरकत) से 25 फ़ाएदे मिलने की उम्मीद है : (1) बिइज़्निही तआ़ला (अल्लाह पाक की अ़त़ा से) बुरी मौत से बचेंगे, सत्तर दरवाज़े बुरी मौत के बन्द होंगे । (2) उ़म्रें ज़ियादा होंगी । (3) उन की गिनती बढ़ेगी । (4) रिज़्क़ की वुस्अ़त (कुशादगी), माल की कसरत होगी, इस की आ़दत से कभी मोह़ताज न होंगे । (5) ख़ैरो बरकत पाएंगे । (6) आफ़तें, बलाएं दूर होंगी, बुरी क़ज़ा (यानी बुरी मौत) टलेगी, सत्तर दरवाज़े बुराई के बन्द होंगे, सत्तर क़िस्म की बला दूर होगी । (7) उन के शहर आबाद होंगे । (8) शिकस्ता ह़ाली (मोह़ताजी) दूर होगी । (9) ख़ौफे़ अन्देशा ज़ाइल और इत़मीनाने  ख़ात़िर (दिली इत़मीनान) ह़ासिल होगा । (10) मददे इलाही शामिल होगी । (11) रह़मते इलाही उन के लिए वाजिब होगी । (12) मलाइका (फ़िरिश्ते) उन पर दुरूद भेजेंगे । (13) रिज़ाए इलाही के काम करेंगे । (14) ग़ज़बे इलाही उन पर से ज़ाइल (ख़त्म) होगा । (15) उन के गुनाह बख़्शे जाएंगे, मग़फ़िरत उन के लिए वाजिब होगी, उन के गुनाहों की आग बुझ जाएगी । (16) ख़िदमते अहले दीन में सदक़े से बढ़ कर सवाब पाएंगे । (17) ग़ुलाम आज़ाद करने से ज़ियादा अज्र लेंगे । (18) उन के टेढ़े काम दुरुस्त होंगे । (19) आपस में मह़ब्बतें बढ़ेंगी जो हर ख़ैर व ख़ूबी की मुतब्बेअ़ (यानी पैरवी करती या उस के पीछे पीछे चली आती) हैं । (20) थोड़े सर्फ़ (ख़र्चे) में बहुत का पेट भरेगा कि तन्हा (अकेले) खाते, तो दूना उठता (डबल ख़र्चा होता) । (21) अल्लाह पाक के ह़ुज़ूर (यानी बारगाहे इलाही में) दरजे बुलन्द होंगे । (22) मौला तबारक व तआ़ला मलाइका (फ़िरिश्तों) से उन के साथ मुबाहात (फ़ख़्र) फ़रमाएगा । (23) रोज़े क़ियामत दोज़ख़ से अमान में रहेंगे, आतशे दोज़ख़ (दोज़ख़ की आग) उन पर ह़राम होगी । (24) आख़िरत में एह़साने इलाही से बहरामन्द (फ़ाएदा उठाने वाले) होंगे कि निहायते मक़ासिद व ग़ायते मुरादात (यानी तमाम मक़ासिद और मुरादों में सब से आला) है । (25) ख़ुदा ने चाहा, तो उस मुबारक गिरोह (जमाअ़त) में होंगे जो ह़ुज़ूरे पुरनूर, सय्यिदे आ़लम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की नाले अक़्दस के तसद्दुक़ (सदके़) में सब से पेहले दाख़िले जन्नत होगा । (फ़तावा रज़विय्या, 23 / 152)

सत्ताईस रजब का रोज़ा रखने की तरग़ीब

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आज सत्ताईसवीं रात है और कल सत्ताईसवीं का दिन होगा, इस दिन यानी 27 रजब के रोज़े की बहुत ज़ियादा फ़ज़ीलत है । चुनान्चे,

100 साल के रोज़ों का सवाब

          अल्लाह करीम के मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का फ़रमाने आ़लीशान है : रजब में एक दिन और रात है, जो उस दिन रोज़ा रखे और रात को इ़बादत करे,

तो गोया उस ने 100 साल के रोज़े रखे, 100 साल रात को जाग कर रब्बे करीम की इ़बादत की और येह रजब की 27 तारीख़ है । (شعب الایمان  ، باب فی الصیام ، ۳ / ۳۷۴ ، حدیث :  ۳۸۱۱)

          अ़न क़रीब शाबान का मुबारक महीना तशरीफ़ लाने वाला है, इस मुबारक महीने के रोज़ों की भी बहुत ज़ियादा फ़ज़ीलतें हैं । चुनान्चे,