Book Name:Mojiza-e-Mairaj
وَسَلَّم के सर की आंखों से दीदारे इलाही करने और फ़ौक़ल अ़र्श (यानी अ़र्श से ऊपर) जाने का मुन्किर (इन्कार करने वाला) ख़ात़ी, यानी ख़त़ाकार है । (कुफ़्रिय्या कलिमात के बारे में सुवाल जवाब, स. 227)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के इस अ़ज़ीमुश्शान मोजिज़े पर फ़ुज़ूल एतिराज़ात करना कोई नई बात नहीं बल्कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के दौरे मुबारक से अब तक बहुत से ना समझ और ह़क़ीक़त से ना वाक़िफ़ लोग इस अ़ज़ीम मोजिज़े का इन्कार करते आए हैं । एक मुसलमान के लिए बस येही काफ़ी है कि इस वाक़िए़ को अ़क़्ल के तराज़ू में तोलने के बजाए अल्लाह पाक की त़ाक़त व क़ुदरत को पेशे नज़र रखे क्यूंकि अल्लाह पाक हर चीज़ पर क़ादिर है ।
इस बात को मज़ीद समझने के लिए ह़ज़रते सुलैमान عَلَیْہِ السَّلَام के उम्मती, ह़ज़रते आसिफ़ बिन बरख़िया رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की येह करामत भी ज़ेहन में रखिए कि उन्हों ने अस्सी गज़ लम्बा और चालीस गज़ चौड़ा हीरों और जवाहिरात से आरास्ता तख़्त पलक झपकने से पेहले पेहले यमन से मुल्के शाम में पहुंचा दिया था । इस वाक़िए़ को अल्लाह पाक ने पारह 19, सूरए नम्ल की आयत नम्बर 40 में यूं बयान फ़रमाया है :
قَالَ الَّذِیْ عِنْدَهٗ عِلْمٌ مِّنَ الْكِتٰبِ اَنَا اٰتِیْكَ بِهٖ قَبْلَ اَنْ یَّرْتَدَّ اِلَیْكَ طَرْفُكَؕ-) پ ، ۱۹ ، النمل : ۴۰(
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : उस ने अ़र्ज़ की जिस के पास किताब का इ़ल्म था कि मैं उसे आप की बारगाह में आप के पलक झपकने से पेहले ले आऊंगा ।
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! ग़ौर कीजिए ! जब अल्लाह पाक ने ह़ज़रते सुलैमान عَلَیْہِ السَّلَام के एक उम्मती को सैंक्ड़ों मील की दूरी पर मौजूद इन्तिहाई वज़्नी तख़्त पलक झपकने से पेहले उठा लाने की त़ाक़त अ़त़ा फ़रमाई है, तो यक़ीनन वोही रब्बे करीम अपनी ज़ाती क़ुदरत व त़ाक़त से अपने प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को रात के थोड़े से ह़िस्से में मकान व ला मकां की सैर करवाने पर भी क़ादिर है । लिहाज़ा अपने ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिए ऐसे लोगों की बुरी सोह़बत से दूर रहिए जो प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के मोजिज़ात व कमालात का इन्कार करते हैं और مَعَاذَ اللّٰہ (अल्लाह पाक की पनाह) आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की शान में बे अदबियां व गुस्ताख़ियां करते हैं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! वाक़िअ़ए मेराज की कई ह़िक्मतें उ़लमाए किराम ने बयान फ़रमाई हैं । आइए ! पेहले मुख़्तसर अन्दाज़ में वाक़िअ़ए मेराज सुनते हैं फिर उस की कुछ ह़िक्मतें भी सुनेंगे । चुनान्चे, "तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान" जिल्द 5, सफ़ह़ा नम्बर 414 और 415 पर लिखा है : मेराज की रात ह़ज़रते जिब्रईल عَلَیْہِ السَّلَام बारगाहे रिसालत में ह़ाज़िर हुवे, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को मेराज की ख़ुश ख़बरी सुनाई और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का मुक़द्दस सीना खोल कर उसे आबे ज़मज़म से धोया फिर उसे ह़िक्मत व ईमान से भर दिया, इस के बाद ताजदारे रिसालत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की बारगाह में बुराक़ (नामी सुवारी) पेश की और इन्तिहाई इकरामो एह़तिराम के साथ उस पर सुवार कर के मस्जिदे अक़्सा की त़रफ़ ले गए । बैतुल मुक़द्दस में नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ