Book Name:Mojiza-e-Mairaj

नेकियां लिखी जाएंगी और जो बुराई का इरादा करे फिर उस से बाज़ रहे, तो उस के नामए आमाल में कोई बुराई नहीं लिखी जाएगी और अगर बुरा काम कर लिया, तो एक बुराई लिखी जाएगी । प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم, ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام के पास तशरीफ़ लाए और उन्हें इस बारे में बताया । तो ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने फिर वोही अ़र्ज़ की : वापस अपने रब्बे करीम के पास जाइए और उस से कमी का सुवाल कीजिए । इस पर आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : मैं अपने रब्बे करीम के पास इतनी बार गया हूं कि अब मुझे ह़या आती है । (مسلم ، كتاب الايمان ، باب الاسراء...الخ ، ص۸۷تا۸۸ ، حديث :  ۱۶۲)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि "नमाज़" मेराज का तोह़फ़ा है, मेराज की रात मिलने वाली इ़बादत है । आज हम ग़ौर करें ! हम ने इस तोह़फे़ को कितना संभाल कर रखा ? इस अ़ज़ीम तोह़फे़ की कितनी क़द्र की ? नमाज़ तो हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की आंखों की ठन्डक है । लिहाज़ा नमाज़ की पाबन्दी कीजिए, नमाज़ को अपनी ज़िन्दगी का ह़िस्सा बनाइए । नमाज़ियों के लिए अल्लाह पाक की बारगाह में उ़म्दा इनआ़मात हैं, नमाज़ी को जन्नत व मग़फ़िरत और बड़े सवाब की ख़ुश ख़बरियां सुनाई गई हैं । अल्लाह पाक हमें इस्तिक़ामत के साथ तमाम नमाज़ें बा जमाअ़त पढ़ने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मेराज की रात प्यारे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने जहां फ़रमां बरदार बन्दों पर होने वाले इनआ़माते रब्बानी को देखा, वहीं ना फ़रमानों को अ़ज़ाबे इलाही में मुब्तला भी देखा जो अपने गुनाहों की सज़ा में इन्तिहाई दर्दनाक अ़ज़ाबों में मुब्तला थे । चुनान्चे,

अ़ज़ाबात में मुब्तला लोग

          बयान किया गया है : मेराज की रात नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم कुछ ऐसे लोगों के पास से गुज़रे जिन पर कुछ अफ़राद मुक़र्रर थे, उन में से बाज़ अफ़राद ने उन लोगों के जबड़े खोल रखे थे, बाज़ दूसरे अफ़राद उन का गोश्त काटते और ख़ून के साथ ही उन के मुंह में धकेल देते । प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने पूछा : ऐ जिब्रईल ! येह कौन लोग हैं ? अ़र्ज़ की : येह लोगों की ग़ीबतें करने और उन में ऐ़ब निकालने वाले हैं । (مسند الحارث ،  كتاب الايمان ،  باب ما جاء فى الاسراء ،  ١ / ١٧٢ ،  الحديث : ٢٧) मेराज की रात नबियों के सरदार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने दोज़ख़ में कुछ ऐसे लोग भी देखे जो आग की शाख़ों से लटके हुवे थे । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने पूछा : ऐ जिब्रईल ! येह कौन लोग हैं ? अ़र्ज़ की : येह वोह लोग हैं जो दुन्या में अपने वालिदैन को गालियां देते थे । (الزواجر ،  كتاب النفقات على الزوجات...الخ ،  الكبيرة الثانية بعد الثلاثمائة ،  ٢ / ١٢٥)

          इस रात सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ऐसे लोगों के पास भी तशरीफ़ लाए जिन के आगे और पीछे चीथड़े लटक रहे थे और वोह चौपायों की त़रह़ चरते हुवे कांटों वाली घास, थूहर (एक कांटेदार ज़हरीला पौदा) और जहन्नम के तपे हुवे (गर्म) पथ्थर निगल रहे थे । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने पूछा : ऐ जिब्रईल ! येह कौन लोग हैं ? अ़र्ज़ की : येह वोह लोग हैं जो अपने मालों की ज़कात