Book Name:Mojiza-e-Mairaj
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आज 1441 सिने हिजरी के रजबुल मुरज्जब की 27वीं रात, यानी मेराज की रात है । अल्लाह करीम का शुक्र है कि उस ने एक मरतबा फिर हमें फ़ज़ीलतों, बरकतों, ख़ुशियों, रह़मतों और बख़्शिशों वाली येह मुक़द्दस रात नसीब फ़रमाई । आज की रात वोह अ़ज़ीम रात है जिस में मेराज फ़रमाने वाले आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को अ़ज़ीम मोजिज़ा "मोजिज़ए मेराज" अ़त़ा हुवा । जन्नत को सजाया गया, फ़िरिश्तों की बारात ने हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को सलामी पेश की, जन्नती सुवारी बुराक़ को रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के लिए भेजा गया, फ़िरिश्तों के सरदार, ह़ज़रते जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की सुवारी की नकेल पकड़ी, प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم नूरानी बारात के साथ मस्जिदे अक़्सा रवाना हुवे, सारे नबियों ने बैतुल मुक़द्दस में प्यारे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का इस्तिक़्बाल किया, मरह़बा ! कहा, प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام की इमामत फ़रमाई, नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم इस ज़मीन से आसमानों और वहां के अ़जाइबात की सैर के लिए तशरीफ़ ले गए, हर हर आसमान पर मेराज के दुल्हा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का इस्तिक़्बाल किया गया, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم सिदरतुल मुन्तहा (यानी वोह मक़ाम जो जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام का ठिकाना है उस) को भी नीचे छोड़ कर ऊपर तशरीफ़ ले गए, मेराज के दुल्हा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم अ़र्शे आज़म से भी ऊपर तशरीफ़ ले गए और मक़ामे क़ा-ब क़ौसैन की मन्ज़िलों तक जा पहुंचे, अल ग़रज़ ! प्यारे नबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को दुल्हा बनाया गया और ला मकां की सैर के लिए बुलाया गया और गोया येह एलान किया गया कि इस काइनात में अल्लाह पाक के बाद सब से बड़ा मर्तबा उस के प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का है, तो फिर क्यूं न कहें कि सारी मख़्लूक़ से अफ़्ज़लो आला और बुलन्दो बाला हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم हैं ।
हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم अपने रब्बे करीम को बहुत प्यारे हैं, उस ने आप को दोनों जहां का दुल्हा बना दिया है । हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم तमाम नबियों और रसूलों عَلَیْہِمُ السَّلَام में सब से अफ़्ज़लो आला हैं, जब आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم शबे मेराज के दुल्हा बने, तो आप की इ़ज़्ज़त अफ़्ज़ाई और इस्तिक़्बाल के लिए अल्लाह करीम ने अ़र्श व कुर्सी, ज़मीनो आसमान, मकान व ला मकान, जन्नत और सारे जहां को ख़ूब ख़ूब सजाया । नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के दरयाए रह़मत का ह़ाल येह है कि वोह ह़ौज़े कौसर जिस से ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام से ले कर क़ियामत तक तमाम जन्नती पानी पिएंगे मगर उस के पानी में कमी नहीं आएगी, वोह जन्नत का बहुत बड़ा चश्मा जिस का नाम सलसबील है, येह दोनों आप عَلَیْہِ السَّلَام के दरयाए रह़मत के दो क़त़रे हैं । मख़्लूक़ में नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के सिवा और कोई नहीं है जो हर ह़ाजतमन्द को उस की ह़ाजत से ज़ियादा अ़त़ा करे । आसमाने नुबुव्वत पर बहुत से अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام