Book Name:Ikhtiyarat-e-Mustafa (12Shab)

गई) । ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ गुनहगारों को निकालने के लिये दोज़ख़ में तशरीफ़ ले जाएंगे, जिस से पता लगा कि ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) हम गुनहगारों की ख़ात़िर अदना (या'नी मा'मूली) जगह पर तशरीफ़ ले जाएंगे । अगर आज मीलाद शरीफ़ या मजलिसे ज़िक्र में ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) तशरीफ़ लाएं, तो उन के करम से बई़द (या'नी ना मुमकिन) नहीं, इस से उन की शान नहीं घटती, हमारी और हमारे घरों की शान बढ़ जाती है ।

(मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 417 ता 419, मुल्तक़त़न)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        سُبْحٰنَ اللّٰہ ! आप ने सुना कि अल्लाह पाक ने हमारे आक़ा व मौला, मुह़म्मदे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को कैसी शानो शौकत का मालिक बनाया और आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को किस क़दर इख़्तियारात से नवाज़ा है कि क़ियामत के दिन जब कि सूरज एक मील पर रह कर आग बरसा रहा होगा, तांबे की तपती ज़मीन पर नंगे पाउं खड़ा कर दिया जाएगा, इन्सान अपने बहन भाइयों, मां-बाप और बीवी बच्चों से भागता फिर रहा होगा, उस दिन हर किसी को अपनी ही पड़ी होगी जब कि गुनहगार अपने पसीने में डुब्कियां खा रहे होंगे, ऐसे मुश्किल दिन में रह़ीमो करीम आक़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ गुनहगार उम्मत को अ़ज़ाबे दोज़ख़ से बचाने के लिये बेचैन होंगे और अल्लाह पाक की बारगाहे आ़ली में मुसल्सल शफ़ाअ़ते उम्मत की इजाज़त त़लब फ़रमाएंगे फिर अल्लाह पाक अपने मह़बूब रसूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को शफ़ाअ़त का इख़्तियार अ़त़ा फ़रमाएगा और आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ, अल्लाह पाक की अ़त़ा से अपने उम्मतियों की शफ़ाअ़त कर के उन्हें जहन्नम से निकाल कर दाख़िले जन्नत फ़रमाएंगे ।

सरकार की आमद...मरह़बा                        दिलदार की आमद...मरह़बा

औला की आमद...मरह़बा              आ'ला की आमद...मरह़बा

वाला की आमद...मरह़बा              बाला की आमद...मरह़बा