Book Name:Aaqa Ka Safar e Meraj (Shab-e-Mairaj-1440)

उन्हें अल्लाह पाक के करम और बारगाहे रिसालत से बे शुमार फ़ाइदे ह़ासिल होंगे । चुनान्चे,

(1) सदक़ा देने वाले अल्लाह पाक की अ़त़ा से बुरी मौत से बचेंगे । (2) सदक़ा देने वालों पर सत्तर दरवाज़े बुरी मौत के बन्द होंगे । (3) सदक़ा देने वालों की उ़म्रें ज़ियादा होंगी । (4) सदक़ा देने वालों की गिनती बढ़ेगी । (5) सदक़ा देने की बरकत से रिज़्क़ की कुशादगी होगी । (6) सदक़ा देने की बरकत से माल की कसरत होगी । (7) सदक़ा देने की आ़दत की बरकत से कभी मोह़्ताज न होंगे । (8) सदक़ा देने वाले ख़ैरो बरकत पाएंगे । (9) सदक़ा देने वालों से आफ़तें, बलाएं दूर होंगी । (10) सदक़ा देने की बरकत से बुरी क़ज़ा टलेगी । (11) सदक़ा देने की बरकत से सत्तर दरवाज़े बुराई के बन्द होंगे । (12) सदक़ा देने की बरकत से सत्तर क़िस्म की बला दूर होंगी । (13) सदक़ा देने वालों के शहर आबाद होंगे । (14) सदक़ा देने की बरकत से शिकस्ता ह़ाली दूर होगी । (15) सदक़ा देने की बरकत से ख़ौफे़ अन्देशा ज़ाइल और इत़मीनाने ख़ात़िर ह़ासिल होगा । (16) सदक़ा देने की बरकत से मददे इलाही शामिल होगी । (17) सदक़ा देने वालों के लिये रह़मते इलाही वाजिब होगी । (18) सदक़ा देने वालों पर फ़िरिश्ते दुरूद भेजेंगे । (19) सदक़ा देने वाले रिज़ाए इलाही के काम करेंगे । (20) सदक़ा देने वालों से ग़ज़बे इलाही ज़ाइल होगा । (21) सदक़ा देने वालों के गुनाह बख़्शे जाएंगे, सदक़ा देने वालों के लिये मग़फ़िरत वाजिब होगी, सदक़ा देने वालों के गुनाहों की आग बुझ जाएगी । (22) सदक़ा देने वाले, ग़ुलाम आज़ाद करने से ज़ियादा अज्र लेंगे । (23) सदक़ा देने वालों के टेढ़े काम दुरुस्त होंगे । (24) सदक़ा देने की बरकत से आपस में मह़ब्बतें बढ़ेंगी । (25) सदक़ा देने की बरकत से थोड़े ख़र्च में कसीर लोगों का पेट भरेगा । (26) अल्लाह पाक की बारगाह में दरजे बुलन्द होंगे । (27) सदक़ा देने वाले क़ियामत के दिन दोज़ख़ से अमान में रहेंगे । (28) सदक़ा देने वालों पर दोज़ख़ की आग ह़राम होगी । (29) सदक़ा देने वाले आख़िरत में एह़साने इलाही से फ़ाइदा उठाएंगे । (30) अल्लाह करीम ने चाहा, तो सदक़ा देने वाले, ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ना'ले अक़्दस के सदके़ में सब से पहले दाख़िले जन्नत होंगे । (फ़तावा रज़विय्या, 23 / 152, मुलख़्ख़सन)

          سُبْحٰنَ اللّٰہ ! आप ने सुना कि सदक़ा देना कितना बेहतरीन अ़मल है और इस की बरकत से सदक़ा देने वालों को दुन्या व आख़िरत में कैसी कैसी बरकात ह़ासिल होती हैं ! लिहाज़ा जल्दी कीजिये और इन बरकतों को ह़ासिल करने के लिये आप भी सदक़ा व ख़ैरात करने को अपना मा'मूल बना लीजिये । मुमकिन है किसी के ज़ेहन में येह सुवाल आए कि अगर हम सदक़ा व ख़ैरात करना चाहें, तो कहां दें ? ऐसों की रहनुमाई के लिये अ़र्ज़ है कि इधर उधर जाने के बजाए अपने सदक़ाते वाजिबा और नाफ़िला, आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़्त क़ाइम मदारिसुल मदीना और जामिआ़तुल मदीना को दीजिये क्यूंकि आ़शिक़ाने रसूल की मस्जिद भरो मदनी तह़रीक "दा'वते इस्लामी" के तह़्त क़ाइम जामिअ़तुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात), मद्रसतुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात) और मदनी चेनल के सालाना अख़राजात करोड़ों नहीं अरबों रुपये में हैं ।