Book Name:Eman Ki Hifazat

1.      इरशाद फ़रमाया : एक शख़्स अल्लाह पाक को नाराज़ करने वाला कलिमा कहता है और उसे येह ख़याल भी नहीं होता कि येह उसे अल्लाह पाक की नाराज़ी तक पहुंचा देगा मगर अल्लाह पाक इस की वज्ह से उस के लिये क़ियामत तक अपनी नाराज़ी लिख देता है । (ترمذی،کتاب الزھد،باب فی قلةالکلام ،۴/ ۱۴۳،حدیث : ۲۳۲۶)

اَللّٰھُمَّ اَجِرۡنِیۡ مِنَ النَّارo

ऐ अल्लाह पाक ! मुझे (दोज़ख़ की) आग से नजात अ़त़ा फ़रमा !

یَامُجِیۡرُ یَامُجِیۡرُ یَامُجِیۡرُo

ऐ नजात देने वाले ! ऐ नजात देने वाले ! ऐ नजात देने वाले !

بِرَحۡمَتِکَ یَآاَرۡحَمَ الرّٰحِمِیۡنَo

अपनी रह़मत के सबब हम पर रह़म फ़रमा, ऐ सब से बढ़ कर रह़म फ़रमाने वाले !

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

4...गुनाहों से न बचना

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ईमान बरबाद होने का एक सबब दिन रात गुनाहों में मश्ग़ूल रहना भी है कि जो बन्दा दिन रात गुनाहों में मश्ग़ूल रहता है, इस की नुह़ूसत से बन्दा ईमान से हाथ धो बैठता है । अ़ल्लामा इस्माई़ल ह़क़्क़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस बारे में फ़रमाते हैं : जिस त़रह़ अल्लाह पाक की आयतों का इन्कार करना और उन का मज़ाक़ उड़ाना कुफ़्र है और कुफ़्र की सज़ा दोज़ख़ का हमेशा दर्दनाक अ़ज़ाब है, इसी त़रह़ किसी मुसलमान का गुनाहों को मुसल्सल करना भी ऐसा अ़मल है जिस से उस की मौत कुफ़्र की ह़ालत में हो सकती है । ह़ज़रते अबू इस्ह़ाक़ फ़ज़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : एक शख़्स अक्सर हमारे पास बैठा करता और अपना आधा चेहरा ढांप कर रखता था, एक दिन मैं ने उस से कहा : तुम हमारे पास कसरत से बैठते हो और अपना आधा चेहरा ढांप कर रखते हो, मुझे इस की वज्ह बताओ । उस ने कहा : मैं कफ़न चोर था, एक दिन एक औ़रत को दफ़्न किया गया, तो मैं उस की क़ब्र पर आया, जब मैं ने उस की क़ब्र खोद कर उस के कफ़न को खींचा तो, उस ने हाथ उठा कर मेरे चेहरे पर थप्पड़ मार दिया फिर उस शख़्स ने अपना चेहरा दिखाया, तो उस पर 5 उंगलियों के निशान थे । मैं ने उस से कहा : इस के बा'द क्या हुवा ? उस ने कहा : फिर मैं ने उस का कफ़न छोड़ दिया और क़ब्र बन्द कर के उस पर मिट्टी डाल दी और मैं ने दिल में पक्का इरादा कर लिया कि जब तक ज़िन्दा रहूंगा किसी की क़ब्र नहीं खोदूंगा । ह़ज़रते अबू इस्ह़ाक़ फ़ज़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं ने येह वाक़िआ़ ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम औज़ाई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को लिख कर भेजा । तो उन्हों ने मुझे लिखा : उस से पूछो : जिन मुसलमानों का इन्तिक़ाल हुवा, क्या उन का चेहरा क़िब्ले की त़रफ़ था ? मैं ने इस के बारे में उस कफ़न चोर से पूछा, तो उस ने जवाब दिया : उन में से ज़ियादा तर लोगों का चेहरा (Face) क़िब्ले से फिरा हुवा था । मैं ने उस का जवाब ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम औज़ाई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को लिख कर भेजा, तो उन्हों ने मुझे तह़रीर भेजी जिस पर 3 मरतबा "اِنَّالِلّٰہِ وَاِنَّاۤ اِلَیْہِ رَاجِعُونْ" लिखा हुवा था और साथ में येह तह़रीर था : जिस का चेहरा क़िब्ले से फिरा हुवा