Book Name:Eman Ki Hifazat

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : येही वोह लोग हैं जिन्हों ने अपने रब की आयात और उस की मुलाक़ात का इन्कार किया, तो उन के सब आ'माल बरबाद हो गए, पस हम उन के लिये क़ियामत के दिन कोई वज़्न क़ाइम नहीं करेंगे । येह उन का बदला है जहन्नम क्यूंकि उन्हों ने कुफ़्र किया और मेरी आयतों और मेरे रसूलों को हंसी मज़ाक़ बना लिया । बेशक जो लोग ईमान लाए और अच्छे आ'माल किये, उन की मेहमानी के लिये फ़िरदौस के बाग़ात हैं ।

          बयान कर्दा आयाते मुक़द्दसा के तह़्त "तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान" में जो कुछ लिखा है उस का ख़ुलासा मदनी फूलों की सूरत में सुनते हैं : ٭ वज़्न क़ाइम न करने का मत़लब येह है कि क़ियामत के दिन उन के ज़ाहिरी नेक आ'माल की कोई क़द्रो क़ीमत होगी और न ही उन में कोई वज़्न होगा । ٭ जब मीज़ाने अ़मल में उन के ज़ाहिरी नेक आ'माल और कुफ़्र व गुनाह का वज़्न होगा, तो तमाम ज़ाहिरी नेक आ'माल बे वज़्न साबित होंगे । ٭ नेक आ'माल की क़द्रो क़ीमत और उन में वज़्न का दारो मदार ईमान और इख़्लास पर है । ٭ जब येह लोग ईमान और इख़्लास से ही ख़ाली हैं, तो इन के आ'माल में वज़्न कहां से होगा ? ٭ बा'ज़ मुसलमान भी ऐसे होंगे जो अपने नेक आ'माल में वज़्न से मह़रूम हो जाएंगे । ٭ तमाम कुफ़्रों से बढ़ कर कुफ़्र नबी की तौहीन और उन का मज़ाक़ उड़ाना है जिस की सज़ा दुन्या व आख़िरत दोनों में मिलती है । ٭ इस से उन लोगों को इ़ब्रत ह़ासिल करने की शदीद ज़रूरत है जो मीडिया पर और अपनी निजी मह़फ़िलों में अहले ह़क़ उ़लमाए किराम का मज़ाक़ उड़ाने में लगे रहते हैं । ٭ जन्नतियों के लिये अल्लाह करीम ने जो ने'मतें तय्यार की हैं, वोह इन्सान के तसव्वुर से भी ज़ियादा हैं । (तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान, 6 / 37 ता 40, माख़ूज़न)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

बुज़ुर्गाने दीन और ईमान की फ़िक्र

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! यक़ीनन ख़ुश नसीब है वोह मुसलमान जो ज़िन्दगी भर अल्लाह पाक की रिज़ा वाले कामों में मश्ग़ूल रहे और मरते वक़्त अपना ईमान सलामत ले जाने में कामयाब हो जाए । लिहाज़ा हर एक को अपने ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिये होश्यार रहना चाहिये, बिल ख़ुसूस जो मुसलमान नमाज़ रोज़ों की पाबन्दी करते हैं, सदक़ा व ख़ैरात करते हैं, नफ़्ली इ़बादत और दीगर नेक कामों में मश्ग़ूल रहते हैं, बसा अवक़ात शैत़ान ऐसों को ईमान की सलामती से ग़ाफ़िल करने के लिये इस त़रह़ बहकाने की कोशिश करता है कि तू ने तो बहुत नेक आ'माल कर लिये हैं, अब बस कर ! तेरी येह नेकियां तुझे बख़्शवाने और तुझे जन्नत की ने'मतों से लुत़्फ़ उठाने के लिये काफ़ी हैं । अगर कभी ऐसा ख़याल ज़ेहन में आए, तो उसे फ़ौरन झटक दीजिये, अपनी इ़बादत पर कभी भरोसा (Rely) मत कीजिये और इस वस्वसे को ख़त्म करने के लिये बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की गिर्या व ज़ारी, ख़ौफे़ ख़ुदा और ईमान की ह़िफ़ाज़त के वाक़िआ़त को याद कीजिये कि वोह ह़ज़रात दिन रात इ़बादात करने के बा वुजूद भी ईमान की सलामती के लिये फ़िक्र किया करते थे । चुनान्चे,