Book Name:Eman Ki Hifazat

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा आयत के आख़िरी ह़िस्से में फ़रमाया गया है कि "इस्लाम पर ही तुम्हें मौत आए ।" इस से मुराद येह है कि अपनी त़रफ़ से ज़िन्दगी के हर लम्ह़े में इस्लाम पर ही रहने की कोशिश करो ताकि जब तुम्हें मौत आए, तो ह़ालते इस्लाम पर ही आए । (सिरात़ुल जिनान, 2 / 20)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ईमान की अहम्मिय्यत ह़दीस की रौशनी में

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमें अपने ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिये हर वक़्त फ़िक्र करनी चाहिये, नफ़्सो शैत़ान के धोकों और वस्वसों से ख़ुद को बचाने की कोशिश करनी चाहिये । याद रहे ! जिस त़रह़ ईमान पर साबित़ क़दम रहने वालों के लिये क़ुरआने पाक में जन्नत की ख़ुश ख़बरी बयान की गई है, इसी त़रह़ अह़ादीसे करीमा में भी नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने ईमान की अहम्मिय्यत और इस की ह़िफ़ाज़त के बारे में ह़ुक्म इरशाद फ़रमाया है । आइये ! तरग़ीब के लिये ईमान की सलामती के तअ़ल्लुक़ से अह़ादीसे करीमा सुनते हैं । चुनान्चे,

ह़िफ़्ज़े ईमान की फ़िक्र

          नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : अ़न क़रीब लोगों पर ऐसा ज़माना आएगा जिस में तन्हाई इख़्तियार करना ज़रूरी होगा, उस वक़्त सिर्फ़ उस शख़्स का दीन सलामत रहेगा जो ह़िफ़ाज़ते ईमान की फ़िक्र में एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ या एक जगह से दूसरी जगह भागता फिरे जिस त़रह़ परिन्दा और लोमड़ी अपने बच्चों को ले कर एक जगह से दूसरे जगह मुन्तक़िल होते रहते हैं । फिर इरशाद फ़रमाया : उस ज़माने में वोह बकरियां चराने वाला भलाई पर होगा जो अपने इ़ल्म के मुत़ाबिक़ नमाज़ पढ़े, ज़कात अदा करे और लोगों से अलग रहेगा । (المطالب العالیۃ،کتاب الفتن،باب جواز الترھیب…الخ، ۸/۵۹۷، حدیث:۴۳۶۶ملخصاً)

बन्दा उस पर उठाया जाएगा जिस पर मरेगा

        नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : یُبْعَثُ کُلُّ عَبْدٍ عَلٰی مَا مَاتَ عَلَیْہِ हर बन्दा उस ह़ालत पर उठाया जाएगा जिस पर मरेगा । (مسلم،کتاب الجنۃ وصفۃ نعیمھا…الخ،باب الامربحسن الظن… الخ،ص ۱۱۷۸، حدیث:۲۸۷۸)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस ह़दीसे पाक के तह़्त फ़रमाते हैं : या'नी ए'तिबार ख़ातिमे का है, अगर कोई कुफ़्र पर मरे, तो कुफ़्र पर ही उठेगा अगर्चे ज़िन्दगी में मोमिन रहा हो और अगर ईमान पर मरे, तो ईमान पर उठेगा अगर्चे ज़िन्दगी में कुफ़्र पर रहा हो । (मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 153, बित्तग़य्युर)

        अ़ल्लामा अ़ब्दुर्रऊफ़ मनावी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस ह़दीसे पाक के तह़्त फ़रमाते हैं : ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम जलालुद्दीन सुयूत़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने इस ह़दीस से येह नुक्ता निकाला है कि बांसुरी बजाने वाला क़ियामत के दिन अपनी बांसुरी के साथ आएगा, शराबी अपने जाम के साथ जब कि मोअज़्ज़िन अज़ान देता हुवा आएगा । (التیسیر،حرف الیاء،۲/ ۵۰۷)