Book Name:Eman Ki Hifazat
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! اِنْ شَآءَ اللّٰہ आज के बयान में हम "ईमान की ह़िफ़ाज़त" के तअ़ल्लुक़ से नसीह़त व इ़ब्रत से भरपूर वाक़िआ़त व ह़िकायात सुनने की सआ़दत ह़ासिल करेंगे । आइये ! पहले एक ईमान अफ़रोज़ ह़िकायत सुनते हैं । चुनान्चे,
मन्क़ूल है : एक इ़बादत गुज़ार नेक ख़ातून को फ़िरऔ़न की बेटी ने अपनी ख़ादिमा के त़ौर पर रखा, वोह नेक ख़ातून अपनी ह़ैसिय्यत के मुत़ाबिक़ दिन रात उस की ख़िदमत करती रहती, एक दिन वोह नेक औ़रत फ़िरऔ़न की बेटी के सर में कंघी (Comb) कर रही थी कि इस दौरान उस ख़ातून के हाथ से कंघी गिर गई, उस नेक सीरत औ़रत की ज़बान से बे इख़्तियार "سُبْحٰنَ اللّٰہ" की आवाज़ बुलन्द हुई, फ़िरऔ़न की ग़ैर मुस्लिम बेटी ने जब येह आवाज़ सुनी, तो कहा : क्या तू ने मेरे बाप फ़िरऔ़न की ता'रीफ़ की है ? उस मोमिना ने जवाबन कहा : नहीं ! बल्कि मैं ने तो उस अल्लाह पाक की पाकी बयान की है जो मेरा, तेरे बाप फ़िरऔ़न का और तमाम काइनात का पैदा करने वाला है, इ़बादत के लाइक़ सिर्फ़ वोही "وَحْدَہٗ لَاشَرِیْک" ज़ात है । उस मोमिना की ईमान भरी गुफ़्तगू सुन कर फ़िरऔ़न की बेटी ने कहा : मैं तुम्हारे बारे में अपने वालिद को बताऊंगी कि तुम उसे ख़ुदा नहीं मानती । औ़रत ने कहा : बेशक बता दो ! चुनान्चे, उस ने अपने बाप फ़िरऔ़न को उस औ़रत के बारे में सब कुछ बता दिया, येह सुन कर उस ने नेक सीरत मोमिना को अपने पास बुलाया और कहा : हम ने सुना है कि तू हमारे इ़लावा किसी और को ख़ुदा मानती है, तेरी सलामती इसी में है कि तू इस नए मज़हब को छोड़ कर मेरी इ़बादत कर और मुझे ही ख़ुदा मान वरना तुझे दर्दनाक सज़ा दी जाएगी । औ़रत ने कहा : तुझे जो करना है, कर ले, मैं कभी भी कुफ़्र की त़रफ़ नहीं आऊंगी । फ़िरऔ़न ने जब उस नेक सीरत औ़रत की ईमान अफ़रोज़ गुफ़्तगू सुनी, तो बहुत ग़ज़बनाक हुवा और तांबे की देग में तेल गर्म करने का ह़ुक्म दिया । जब तेल ख़ूब खौलने लगा, तो उस के बच्चे को उबलते हुवे तेल में डाल दिया । कुछ ही देर में बच्चे की हड्डियां तेल पर तैरने लगीं । ज़ालिम फ़िरऔ़न ने औ़रत से कहा : क्या तू मुझे ख़ुदा मानती है ? उस ने कहा : हरगिज़ नहीं ! मेरा ख़ुदा वोही है जो तमाम जहानों का मालिक है । फ़िरऔ़न ने एक एक कर के उस के तमाम बच्चों को उबलते हुवे तेल में डाल दिया लेकिन उस हिम्मत, सब्र और शुक्र करने वाली औ़रत ने अपना ईमान न छोड़ा । फ़िरऔ़न ने जब देखा कि वोह औ़रत कुफ़्र की त़रफ़ आने को तय्यार नहीं है, तो उस ज़ालिम ने अपने सिपाहियों (Guards) को ह़ुक्म दिया : इसे भी इस के बच्चों की त़रह़ तेल में डाल दो ! सिपाही जब उसे ले जाने लगे तो फ़िरऔ़न ने कहा : अगर तुम्हारी कोई आरज़ू हो, तो बताओ । कहा : हां ! मेरी एक ख़्वाहिश है, अगर हो सके, तो येह करना कि जब मुझे तेल की उबलती हुई देग में डाल दिया जाए और मेरा सारा गोश्त जल जाए, तो इस देग को शहर के दरवाज़े पर भिजवा देना, वहां मेरी एक झोंपड़ी है, देग उस में रखवा कर झोंपड़ी गिरा देना ताकि हमारा घर ही हमारे लिये क़ब्रिस्तान बन जाए । फ़िरऔ़न ने कहा : ठीक है ! तुम्हारी इस