Book Name:Eman Ki Hifazat

रमज़ान ए'तिकाफ़ की सआ़दत ह़ासिल कर रहे हैं । ग़रज़ ! येह कि बेहतरीन त़रीके़ से मदनी कामों को तेज़ी के साथ आगे से आगे बढ़ाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़्त तक़रीबन 107 शो'बाजात के लिये कसीर रक़म दरकार होती है । आप भी अपने मदनी अ़त़िय्यात दा'वते इस्लामी को दीजिये, नेकी की दा'वत को आ़म करने में अपनी इस मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी का साथ दीजिये ।

          आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी का हम पर अ़ज़ीम एह़सान है कि एक ता'दाद ऐसी है जिन्हें कल तक तो येह भी पता नहीं था कि नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है ? बल्कि बहुत कुछ पता नहीं था, दा'वते इस्लामी ने हमें बहुत कुछ सिखाया और समझाया, हम दा'वते इस्लामी के एह़सान तले हैं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ दा'वते इस्लामी ने मुसलमानों को दाढ़ी शरीफ़ और इ़मामा शरीफ़ सजाने की मदनी सोच दी, ईमान की ह़िफ़ाज़त की सोच दी, अब वोही दा'वते इस्लामी हम से मुत़ालबा कर रही है कि इस को मज़ीद आगे बढ़ाना है और मज़ीद आगे बढ़ाने के लिये अरबों रुपये की ज़रूरत है । जामिअ़तुल मदीना के माहाना अख़राजात लाखों बल्कि करोड़ों में हैं, सैंक्ड़ों मस्जिदें अभी और बनानी हैं, हर दा'वते इस्लामी वाला मशीन की त़रह़ ह़रकत में आ जाए, अपने घर वालों से, रिश्तेदारों से, मह़ल्ले वालों से, दुकान दारों से, पड़ोसियों से ख़ूब मदनी अ़त़िय्यात जम्अ़ करने की भरपूर कोशिश कीजिये । बहुत सारे लोग सिर्फ़ रमज़ानुल मुबारक में ज़कात देते हैं, ज़कात के साथ साथ फ़ित़्रा भी जम्अ़ करने की कोशिश कीजिये । अख़राजात हर साल बढ़ते जा रहे हैं, हमें अपनी दा'वते इस्लामी को ज़िन्दा रखना है, इस को चलाना है बल्कि इस को मज़बूत़ बनाना है ताकि येह अल्लाह पाक के दीन की ख़ूब ख़िदमत करे । फ़ित़्रों के बस्ते बढ़ाए जाएं, फ़ित़्रा देने वालों की एक ता'दाद होती है जो टेबल, कुर्सी, बेनर्ज़ वग़ैरा देख कर फ़ित़्रा दे देती है, बाज़ारों में मस्जिदों के बाहर फ़ित़्रे के बस्ते लगाए जाएं, मदनी अ़त़िय्यात के जितने बस्ते ज़ियादा लगेंगे, उतना फ़ित़्रा भी ज़ियादा मिलेगा । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! शबे क़द्र के फ़ज़ाइल और इस रात में इ़बादत करने वालों के लिये इनआ़माते बारी बहुत ज़ियादा हैं । अल्लाह पाक इस रात अपने बन्दों पर रह़मते इलाही की ख़ूब बारिशें बरसाता और गुनाहगारों की बख़्शिश व मग़फ़िरत फ़रमा कर उन्हें दोज़ख़ से रिहाई भी अ़त़ा फ़रमाता है मगर कुछ बद नसीब ऐसे भी हैं जो इस मुक़द्दस रात में भी बख़्शिश व मग़फ़िरत से मह़रूम रहते हैं । चुनान्चे,

फ़िरिश्ते झन्डे ले कर उतरते हैं

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जब शबे क़द्र आती है, तो अल्लाह पाक के ह़ुक्म से ह़ज़रते जिब्रईल (عَلَیْہِ السَّلَام) हरा झन्डा लिये फ़िरिश्तों की बहुत बड़ी फ़ौज के साथ ज़मीन पर तशरीफ़ लाते हैं और उस झन्डे को का'बए पाक पर लहरा देते हैं । ह़ज़रते जिब्रईल (عَلَیْہِ السَّلَام) के सौ बाज़ू हैं जिन में से दो बाज़ू सिर्फ़ इसी रात खोलते हैं, वोह बाज़ू मशरिक़ व