Book Name:Eman Ki Hifazat
ऐ रब्बे करीम ! अपने प्यारे मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की प्यारी प्यारी ज़ुल्फ़ों का सदक़ा, मुझे दुन्या में हर मुसीबत से बचाए रखना और आख़िरत में हर ग़म से मह़फ़ूज़ फ़रमाना । तेरी बारगाह में एक और दुआ़ येह भी है कि जब मुझे तेरे प्यारे नबी صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के रौज़ए अक़्दस की ह़ाज़िरी नसीब हो, तो उस वक़्त मैं ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की चौखट पर दुरूदो सलाम पढ़ने में मश्ग़ूल रहूं और इसी ह़ालत में मेरी रूह़ क़ब्ज़ हो जाए ।
اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
दा'वते इस्लामी के शो'बाजात का मुख़्तसर तआ़रुफ़
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! اَلْحَمْدُلِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी जहां सुन्नतों की तरबिय्यत और नेकी की दा'वत आ़म कर रही है, वहीं कमो बेश 107 शो'बाजात में मदनी काम कर रही है । इन तमाम शो'बाजात को चलाने के लिये करोड़ों नहीं बल्कि अरबों रुपये के अख़राजात की ज़रूरत होती है । मुल्क व बैरूने मुल्क आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़्त कमो बेश 602 जामिआ़तुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात) क़ाइम हैं जिन में कमो बेश 52843 त़लबा व त़ालिबात दर्से निज़ामी कर रहे हैं, मुल्क व बैरूने मुल्क तक़रीबन 3049 मद्रसतुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात) भी क़ाइम हैं, जिन में कमो बेश 144633 मदनी मुन्ने और मदनी मुन्नियां ह़िफ़्ज़ो नाज़िरा की मुफ़्त ता'लीम ह़ासिल कर रहे हैं । इस साल दा'वते इस्लामी के मदारिसुल मदीना के हज़ारों ह़ुफ़्फ़ाज़े किराम तरावीह़ में मुसल्ला (क़ुरआने करीम) सुनने, सुनाने की सआ़दत ह़ासिल कर रहे हैं । मदनी चेनल जो कि बे शुमार मुसलमानों की इस्लाह़ और गै़र मुस्लिमों के क़बूले इस्लाम का सबब बन रहा है और इस के ज़रीए़ लाखों लाख आ़शिक़ाने रसूल इ़ल्मे दीन से माला माल हो रहे हैं, मदनी चेनल पर रमज़ानुल मुबारक में बा'दे अ़स्र व बा'दे तरावीह़ रोज़ाना 2 मरतबा और रमज़ान के इ़लावा हर हफ़्ते मदनी मुज़ाकरा बराहे रास्त (Live) नशर किया जाता है । मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के मुख़्तलिफ़ शहरों में दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत, अल मदीनतुल इ़ल्मिय्या, मजलिसे मक्तूबातो ता'वीज़ाते अ़त़्त़ारिय्या जिस से माहाना लाखों लाख मुसलमान फ़ाइदा उठा रहे हैं, इस के इ़लावा मदनी मराकिज़ (फै़ज़ाने मदीना), दीगर मसाजिद की ता'मीरात व इन्तिज़ामात, दारुस्सुन्नह, मुख़्तलिफ़ मदनी कोर्सिज़ (मसलन फ़र्ज़ उ़लूम कोर्स, इमामत कोर्स, मुदर्रिस कोर्स, इस्लाह़े आ'माल कोर्स, 12 मदनी काम कोर्स, फै़ज़ाने नमाज़ कोर्स वग़ैरा) इसी त़रह़ हफ़्तावार इजतिमाआ़त, बड़ी रातों (मसलन इजतिमाए़ मीलाद, इजतिमाए़ ग़ौसिय्या, इजतिमाए़ मे'राज, इजतिमाए़ शबे बराअत और इजतिमाए़ शबे क़द्र वग़ैरा) के इजतिमाआ़त, पूरे माहे रमज़ान / आख़िरी अ़शरे का इजतिमाई़ ए'तिकाफ़ वग़ैरा । इस साल भी सिर्फ़ मुल्के अमीरे अहले सुन्नत में कई मक़ामात पर पूरे माहे रमज़ान का ए'तिकाफ़ जारी है जिस में हज़ारों आ़शिक़ाने रमज़ान ए'तिकाफ़ की सआ़दत ह़ासिल किये हुवे हैं । इसी त़रह़ दुन्या भर में सैंक्ड़ों मक़ामात पर आख़िरी अ़शरे का सुन्नत ए'तिकाफ़ जारी है जिस में हज़ारों आ़शिक़ाने