Book Name:Mojiza-e-Mairaj
तारों की त़रह़ चमकते रहे मगर जब हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم सूरज बन कर आसमाने नुबुव्वत पर जल्वागर हुवे हैं, तो ऐसे चमक रहे हैं कि डूबने का सुवाल ही पैदा नहीं होता । अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام दोनों जहां के बादशाह होते हैं और हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का मक़ाम येह है कि आप इन बादशाहों के भी बादशाह हैं । दोनों जहां की मख़्लूक़ में जिस को भी ऊंचा और बुलन्द शान वाला कहा जाए और समझा जाए, जब नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की शान और अ़ज़मत को देखा जाएगा, तो बे इख़्तियार कहा जाएगा कि रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم उस से भी ऊंचे मर्तबे वाले हैं, आप का मिस्ल कोई नहीं है । हमारे नबी عَلَیْہِ السَّلَام जिन लोगों में आए वोह कुफ़्रो शिर्क, जहालत व गुमराही के दलदल में फंसे हुवे थे, ऐसे लोगों में जब हमारे नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم का नूर चमका, तो उन को भी चमका के रख दिया ।
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! इस में शक नहीं कि हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की ज़ात वोह ज़ात है कि तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام को जो भी मर्तबे और कमालात अ़लाह़िदा अ़लाह़िदा अ़त़ा किए गए, सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को वोह तमाम अ़त़ा कर दिए गए । जैसा कि मौलाना नक़ी अ़ली ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام में जिसे जो भी फ़ज़ीलत दी गई है, वोह तमाम की तमाम फ़ज़ीलतें रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को अ़त़ा की गईं और न सिर्फ़ अ़त़ा की गईं बल्कि कुछ ऐसी ख़ुसूसिय्यात भी आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم को अ़त़ा की गईं जो किसी और को नहीं अ़त़ा की गईं । (सुरूरुल क़ुलूब ब ज़िक्रुल मह़बूब, स. 196, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم से बहुत से मोजिज़ात ज़ाहिर हुवे, दरख़्तों और पथ्थरों का इन्हें सलाम करना, मुबारक उंगलियों से पानी के चश्मे जारी होना, थोड़े से खाने का बहुत ज़ियादा हो जाना, कोई सह़ाबी अपना कटा हुवा बाज़ू ले कर आए और आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم अपना थूक शरीफ़ लगा कर उस कटे हुवे बाज़ू को जोड़ देते, एक सह़ाबी अपनी बाहर निकली हुई आंख ले कर आए, तो प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने थूक मुबारक लगा कर उस आंख को वापस अपनी जगह पर रख दिया और वोह ठीक हो गई, जंग के दौरान कोई सह़ाबी टूटी हुई तल्वार लाए, तो नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने उन्हें टेहनी या शाख़ अ़त़ा फ़रमा दी, तो वोह तल्वार बन गई । इसी त़रह़ हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم चांद को इशारा फ़रमाएं, तो वोह दो टुक्ड़े हो जाए, कभी नमाज़ का वक़्त जाने लगे, तो हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم दुआ़ फ़रमाएं, तो डूबा हुवा सूरज वापस पलट आए, अल ग़रज़ ! इस त़रह़ के कई मोजिज़ात हैं जो प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم से ज़ाहिर हुवे ।
अगर ग़ौर किया जाए, तो इस त़रह़ के बहुत से मोजिज़ात हैं जो प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم ने ख़ुद से नहीं बल्कि दूसरों की त़लब और ह़ालात के तक़ाज़ों के बाइ़स ज़ाहिर फ़रमाए । कोई