Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

क़ब्र में फ़िरिश्ता क़ुरआन पढ़ाएगा

        रसूले सक़लैन, सुल्त़ाने कौनैन صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जो शख़्स क़ुरआन पढ़ना शुरूअ़ करे और इसे अज़बर करने से पहले ही मर जाए, तो उस की क़ब्र में एक फ़िरिश्ता उसे क़ुरआन शरीफ़ सिखाता है, तो इस ह़ाल में वोह अल्लाह पाक से मुलाक़ात करेगा कि उसे पूरा क़ुरआन ह़िफ़्ज़ होगा ।

( کنز العمال،الحدیث۶۴۴۲،ج۱،ص۳۷۲)

       मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! जब मय्यित क़ब्र में दफ़्न की जाती है, तो क़ब्र उसे दबाती है, क़ब्र के दबाने से न मोमिन बचता है, न काफ़िर, न नेक, न बद, बच्चा न जवान, फ़र्क़ सिर्फ़ येह है कि काफ़िर सख़्त दबाव में पकड़ा जाता है, उस की पस्लियां इधर उधर हो जाती हैं और मोमिन के लिये दबाव ऐसा होता है जिस त़रह़ मां अपने बच्चे को प्यार से दबाती है । बिल्ली अपने बच्चे को भी मुंह में दबाती है और चूहे को भी मगर दोनों में फ़र्क़ है ।

(माख़ूज़ अज़ मिरआतुल मनाजीह़. जि. 1, स. 141 व जि. 2, स. 456, 457)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

)9(...सूरए इख़्लास पढ़ने का फ़ाइदा

        ह़ुज़ूरे अकरम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जिस ने मरज़ुल मौत में सूरतुल इख़्लास पढ़ी, तो वोह क़ब्र के फ़ितने और उस के दबाने से मह़फ़ूज़ रहेगा । (المعجم الاوسط ج۴ ص۲۲۲ حدیث۵۷۸۵)

)10(...शबे जुमुआ का दुरूद

        बुज़ुर्गाने दीन عَلَیْھِم رَحْمَۃُ اللّٰہِ المُبِیْن  ने फ़रमाया कि जो शख़्स हर शबे जुमुआ (या'नी जुमुआ और जुमा'रात की दरमियानी रात) इस दुरूद शरीफ़ को पाबन्दी से कम अज़ कम एक मरतबा पढ़ेगा :

اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَ بَارِکْ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الْحَبِیْبِ

الْعَالِی الْقَدْرِ الْعَظِیْمِ الْجَاہِ وَعَلٰی اٰلِہٖ وَصَحْبِہٖ وَسَلِّمْ