Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! रूह़ निकलने की तक्लीफ़ के साथ साथ मालो अस्बाब, दोस्त, अह़बाब, मां-बाप और भाई, बहन से बिछड़ने का ग़म, मलकुल मौत عَلَیْہِ السَّلَام को देखने का ख़ौफ़, तंगो तारीक क़ब्र की तन्हाई का डर, मुहीब सूरतों वाले फ़िरिश्तों या'नी मुन्कर नकीर के सुवालों के जवाबात देना मुर्दे के लिये किस क़दर पुर ख़त़र मराह़िल होते होंगे ? हम अल्लाह पाक से उस के फ़ज़्लो करम और आफ़िय्यत का सुवाल करते हैं ।
यक़ीनन हम से मौत की सख़्तियां और हौलनाकियां बरदाश्त न हो सकेंगी, इस लिये हमें चाहिये कि गुनाहों से दूर रहें और अल्लाह पाक की नाराज़ी वाले कामों से बचते रहें और उस की ख़ुफ़्या तदबीर से डरते रहें,
आज से बल्कि अभी से पक्की सच्ची तौबा कर लीजिये और आइन्दा गुनाह न करने का अ़ज़्मे मुसम्मम कर लीजिये । नेकियों में दिल लगाने, गुनाहों से पीछा छुड़ाने के लिये दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रहिये, हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़, हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरे में इजतिमाई़ त़ौर पर शिर्कत और हर माह 3 दिन के मदनी क़ाफ़िले में सफ़र को अपना मा'मूल बना लीजिये, इस की बरकत से हमें नेकियां करने के बे शुमार मवाके़अ़ मुयस्सर आएंगे और मरने से पहले आख़िरत की तय्यारी करने का मौक़अ़ मिलेगा । اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! हर शख़्स पर मौत की सख़्तियां उस के आ'माल के मुत़ाबिक़ होती हैं । अगर हम ने अपनी ज़िन्दगी नेक आ'माल में बसर की होगी, तो वक़्ते नज़्अ़ हमारी रूह़ आराम से निकलेगी और अगर सारी उ़म्र مَعَاذَ اللّٰہ عَزَّ وَجَلَّ गुनाहों का सिलसिला रहा, तो मौत की सख़्तियां बरदाश्त न कर सकेंगे । लिहाज़ा अभी ज़िन्दगी को ग़नीमत जानते हुवे मा'मूली नज़र आने वाले गुनाह से भी बाज़ रहिये और सुस्ती के सबब छोटी सी नेकी भी हरगिज़ हरगिज़ न छोडि़ये ।