Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने इ़ब्रत निशान है : छे आदमियों की  इस रात भी बख़्शिश नहीं होगी । (1) शराब का आदी (2) मां-बाप का ना फ़रमान (3) बद कारी करने वाला (4) क़त़ए़ तअ़ल्लुक़ करने वाला (5) तस्वीर बनाने वाला और (6) चुग़ल ख़ोर । (فضائل الاوقات ج۱ص ۱۳۰ حدیث ۲۷ مکتبۃ المنارۃ، مکۃ المکرمۃ)

            बा'ज़ दीगर रिवायतों में मुशरिक, अ़दावत वाले, क़ातिल, काहिन, जादूगर, तकब्बुर के साथ पाजामा या तेहबन्द टख़्नों के नीचे लटकाने वाले, मुसलमान से बुग़्ज़ो कीना रखने वाले के लिये भी येह वई़द है कि वोह आज की रात मग़फ़िरत की सआदत से मह़रूम रहता है । लिहाज़ा हम सब को चाहिये कि बयान कर्दा गुनाहों में से अगर مَعَاذَ اللّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ किसी गुनाह में मुलव्वस हों, तो वोह बिल ख़ुसूस उस गुनाह से और बिल उ़मूम हर गुनाह से अभी सच्ची तौबा कर लें । (आक़ा का महीना, स. 11, बित्तग़य्युर)

        तौबा पर इस्तिक़ामत के लिये दा'वते इस्लामी का मदनी माह़ोल अपना लीजिये, اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ इस की बरकत से कई बिगड़े हुवे लोगों की इस्लाह़ होती है । चुनान्चे, आइये ! एक मदनी बहार आप के गोश गुज़ार करता हूं ।

मेरी बद मआशी की आदत कैसे ख़त्म हुई ?

      बाबुल मदीना के एक इस्लामी भाई को उठती जवानी और अच्छी सिह़ह़त ने मग़रूर बना दिया था, नित नए फै़न्सी मल्बूसात सिलवाना, कॉलेज आते जाते बस का टिकट भुलाना, कन्डेक्टर मांगे तो बद मआशी पर उतर आना, रात गए तक आवारा गर्दी में वक़्त गंवाना, जुवा में पैसे लुटाना वग़ैरा हर त़रह़ की मा'सिय्यत उन में सरायत किये हुवे थी । वालिदैन समझा समझा कर थक चुके थे, इस्लाह़ के लिये दुआ करते करते उन की अम्मीजान की पल्कें भीग जातीं । उन के अ़लाके़ के एक इस्लामी भाई कभी कभी सरसरी त़ौर पर दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ की दा'वत पेश करते, तो वोह सुनी अनसुनी कर देते । एक बार इजतिमाअ़ वाली शाम वोही इस्लामी भाई