Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

साथ नमाज़ का इन्तिज़ार करना है और मो'तकिफ़ उन (फ़िरिश्तों से मुशाबहत रखता है जो अल्लाह पाक के हु़क्म की ना फ़रमानी नहीं करते और जो कुछ उन्हें हु़क्म मिलता है उसे बजा लाते हैं और उन के साथ मुशाबहत रखता है जो शबो रोज़ अल्लाह पाक की तस्बीह़ (या'नी पाकी) बयान करते रहते हैं और उस से उक्ताते नहीं । (फ़तावा आलमगीरी, जि. 1, स. 212)

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आप ने ! दौराने ए'तिकाफ़ किस क़दर नेकियां करने के मवाके़अ़ मिलते हैं । हमें भी हर साल न सही कम अज़ कम ज़िन्दगी में एक बार इस अदाए मुस्त़फ़ा को अदा करते हुवे पूरे माहे रमज़ानुल मुबारक का ए'तिकाफ़ कर ही लेना चाहिये और दूसरों को भी इस की तरग़ीब दिलानी चाहिये । اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ दा'वते इस्लामी के तह़त दुन्या भर में पूरे माहे रमज़ान और आख़िरी अ़शरे के सुन्नत ए'तिकाफ़ की तरकीब होगी, मुल्के मुर्शिद में इस साल पूरे माह के ए'तिकाफ़ के लिये 126 मक़ामात और आख़िरी अ़शरे के ए'तिकाफ़ के लिये 4000 मक़ामात का हदफ़ है, सब से बड़ा ए'तिकाफ़ आलमी मदनी मर्कज़, फै़ज़ाने मदीना बाबुल मदीना में होगा, जिस में اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ भी मो'तकिफ़ होंगे, اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ'तिकाफ़ में वुज़ू व ग़ुस्ल, नमाज़ व रोज़ा और दीगर शरई़ मसाइल के साथ साथ मदनी मुज़ाकरों के ज़रीए़ शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से किये गए सुवालात के दिलचस्प जवाबात से मा'लूमात का ढेरों ख़ज़ाना हाथ आता है ।

रह़मते ह़क़ से दामन तुम आ कर भरो

मदनी माह़ोल में कर लो तुम ए'तिकाफ़

सुन्नतें सीखने के लिये आओ तुम

मदनी माह़ोल में कर लो तुम ए'तिकाफ़

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد