Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at
क़ब्र को जन्नत का बाग़ बनाने वाले आ'माल
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! येह दुन्या दारुल अ़मल (या'नी अ़मल करने की जगह) और आख़िरत दारुल जज़ा (या'नी बदला मिलने की जगह) है, जो हम यहां बोएंगे वोही आख़िरत में काटेंगे, गन्दुम बो कर चावल की फ़स्ल ह़ासिल करने की चाहत को दीवाने का ख़्वाब ही कहा जा सकता है । इस लिये समझदारी का तक़ाज़ा येही है कि जो आप काटना चाहते हैं उसी का बीज बोइये । लिहाज़ा जन्नत में जाने के लिये जन्नत में ले जाने वाले आ'माल करने होंगे । ऐ काश ! हमारा दिल नेकियों में ऐसा लग जाए कि गुनाह के ख़याल से भी दूर भागें । आइये ! क़ब्र को रौनक़ बख़्शने और उसे आराम देह बनाने वाले चन्द आ'माल के बारे में जानते हैं । चुनान्चे,
)1 ता 5(...नमाज़, रोज़ा, ह़ज़ और ज़कात वग़ैरा
ह़ज़रते सय्यिदुना का'ब رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है कि जब नेक आदमी को क़ब्र में रखा जाता है, तो उस के आ'माले सालिह़ा नमाज़, रोज़ा, ह़ज, जिहाद और सदक़ा वग़ैरा उस के पास जम्अ़ हो जाते हैं, जब अ़ज़ाब के फ़िरिश्ते उस के पैरों की त़रफ़ से आते हैं, तो नमाज़ कहती है : इस से दूर रहो, तुम्हारा यहां कोई काम नहीं, येह इन पैरों पर खड़ा हो कर अल्लाह पाक की इ़बादत किया करता था । फिर वोह फ़िरिश्ते सर की त़रफ़ से आते हैं, तो रोज़ा कहता है : तुम्हारे लिये इस त़रफ़ कोई राह नहीं है क्यूंकि दुन्या में अल्लाह तआला की ख़ुशनूदी के लिये इस ने बहुत रोज़े रखे और त़वील भूक प्यास बरदाश्त की । फ़िरिश्ते उस के जिस्म के दूसरे ह़िस्सों की त़रफ़ से आते हैं, तो ह़ज और जिहाद कहते हैं कि हट जाओ ! इस ने अपने जिस्म को तक्लीफ़ में डाल कर अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये ह़ज और जिहाद किया था, लिहाज़ा तुम्हारे लिये यहां कोई जगह नहीं है । फिर वोह हाथों की त़रफ़ से आते हैं, तो सदक़ा कहता है : मेरे दोस्त से हट जाओ ! इन हाथों से कितने सदक़ात निकले हैं जो मह़ज़ अल्लाह पाक की रिज़ा के लिये दिये गए और इन हाथों से निकल कर वोह