Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at

)12(...तहज्जुद का नूर

        ताजदारे ह़रम, सरापा जूदो करम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने एक मरतबा ह़ज़रते अबू ज़र गि़फ़ारी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से फ़रमाया : जब तुम कहीं सफ़र पर रवाना होते हो, तो कितनी तय्यारी करते हो ? क़ियामत की तय्यारी का आलम क्या होगा ? ऐ अबू ज़र (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ) ! क्या मैं तुम को ऐसी शै की ख़बर न दूं जो तुम्हें क़ियामत के दिन नफ़्अ़ दे ? ह़ज़रते सय्यिदुना अबू ज़र गि़फ़ारी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने अ़र्ज़ की : मेरे मां-बाप आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर क़ुरबान ! ज़रूर इरशाद फ़रमाइये । तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : सख़्त गर्मी के मौसिम में ह़श्र के लिये रोज़ा रखो और रात की तारीकी में दो रक्अ़तें पढ़ो ताकि क़ब्र में रौशनी हो । (موسوعۃ لابن ابی الدنیا،کتاب التہجد وقیام اللیل،الحدیث۰۱،ج۱،ص۷۴۲)

)13(...नेकी की दा'वत

      अल्लाह तबारक व तआला ने ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा कलीमुल्लाह عَلیٰ نَبِیِّناوَعَلَیْہِ الصَّلوٰۃُ وَالسَّلام की त़रफ़ वह़्य फ़रमाई : भलाई की बातें ख़ुद भी सीखो और दूसरों को भी सिखाओ, मैं भलाई सीखने और सिखाने वालों की क़ब्रों को रौशन फ़रमाऊंगा ताकि उन को किसी क़िस्म की वह़शत न हो ।

(ह़िल्यतुल औलिया, जि. 6, स. 5, रक़म : 7622)

मुबल्लिग़ीन की क़ब्रें اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ जगमगाएंगी

        अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ इस रिवायत को नक़्ल करने के बा'द लिखते हैं : इस रिवायत से नेकी की बात सीखने, सिखाने का अज्रो सवाब मा'लूम हुवा । सुन्नतों भरा बयान करने या दर्स देने और सुनने वालों के तो

वारे ही नियारे हो जाएंगे, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ उन की क़ब्रें अन्दर से जगमग जगमग कर रही होंगी और उन्हें किसी क़िस्म का ख़ौफ़ मह़सूस नहीं होगा । इनफ़िरादी कोशिश करते हुवे नेकी की दा'वत देने वालों, मदनी क़ाफ़िले में सफ़र और फ़िक्रे