Book Name:Mot ke Holnakian Shab-e-Bra'at
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ وَجَلَّ दा'वते इस्लामी ख़िदमते दीन के कमो बेश 104 शो'बाजात में मदनी काम कर रही है, सिर्फ़ जामिअ़तुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात), मद्रसतुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात), मद्रसतुल मदीना ऑन लाइन (लिल बनीन व लिल बनात) और मदनी चेनल के सालाना अख़राजात करोड़ों नहीं, अरबों रुपये में हैं । दा'वते इस्लामी के मदनी कामों के लिये ज़कात, सदक़ात, अ़त़िय्यात देने के साथ साथ अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों, दोस्तों पर इनफ़िरादी कोशिश कर के उन्हें भी राहे ख़ुदा में ख़र्च करने के फ़ज़ाइल बता कर मदनी अ़त़िय्यात जम्अ़ कीजिये । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : सदक़ा बुराई के 70 दरवाज़े बन्द करता है । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : सदक़ा बुरी मौत को रोकता है ।
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! 15 शा'बान के रोज़े की एक ख़ास फ़ज़ीलत है । आइये ! सुनिये और रोज़ा रखने का जे़हन बनाइये । चुनान्चे,
15 शा'बान का रोज़ा
ह़ज़रते सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा, शेरे ख़ुदा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم से मरवी है कि नबिय्ये करीम, रऊफु़र्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने अ़ज़ीम है : जब 15 शा'बान की रात आए, तो उस में क़ियाम (या'नी इ़बादत) करो और दिन में रोज़ा रखो, बेशक अल्लाह पाक ग़ुरूबे आफ़्ताब से आसमाने दुन्या पर ख़ास तजल्ली फ़रमाता और कहता है : है कोई मुझ से मग़फ़िरत त़लब करने वाला कि उसे बख़्श दूं ! है कोई रोज़ी त़लब करने वाला कि उसे रोज़ी दूं ! है कोई मुसीबत ज़दा कि उसे आफ़िय्यत अ़त़ा करूं ! है कोई ऐसा ! है कोई ऐसा ! और येह उस वक़्त तक फ़रमाता है कि फ़ज्र त़ुलूअ़ हो जाए ।
(سُنَنِ اِبن ماجہ ج۲، ص۱۶۰حدیث ۱۳۸۸)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द सुन्नतें और आदाब बयान करने की सआदत