Book Name:Har Simt Chaya Noor Hay 12th-Shab-1441
इस आयते मुबारका में "النَّجْمُ الثَّاقِب" से मुराद रसूले अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ात है । (शिफ़ा शरीफ़, 1 / 37) इसी त़रह़ पारह 30, सूरतुद्दुह़ा की आयत नम्बर 1 और 2 में इरशाद होता है :
وَ الضُّحٰىۙ(۱) وَ الَّیْلِ اِذَا سَجٰىۙ(۲) (پ۳۰، الضُّحٰی: ۱،۲)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : चढ़ते दिन के वक़्त की क़सम और रात की, जब वोह ढांप दे ।
मुफ़स्सिरीने किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن फ़रमाते हैं : चाश्त से जमाले मुस्त़फ़ा के नूर की त़रफ़ इशारा है और रात से आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के गैसूए मुबारक की त़रफ़ इशारा है । (روح البیان، الضّحی، تحت الآیۃ: ۲، ۱۰/۴۵۳)
सरकार की आमद...मरह़बा सरदार की आमद...मरह़बा
प्यारे की आमद...मरह़बा अच्छे की आमद...मरह़बा
सच्चे की आमद...मरह़बा सोहने की आमद...मरह़बा
मोहने की आमद...मरह़बा मुख़्तार की आमद...मरह़बा
पुरनूर की आमद...मरह़बा सरापा नूर की आमद...मरह़बा
आमिना के फूल की आमद...मरह़बा
रसूले मक़्बूल की आमद...मरह़बा
मरह़बा या मुस्त़फ़ा मरह़बा या मुस्त़फ़ा
मरह़बा या मुस्त़फ़ा मरह़बा या मुस्त़फ़ा
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
नूर किसे केहते हैं ?
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आइए ! नूर की तारीफ़ और इस की क़िस्मों के बारे में सुनते हैं । चुनान्चे, नूर के माना हैं : रौशनी, चमक दमक और उजाला । कभी ऐसा भी होता है कि जिस से रौशनी और उजाला ज़ाहिर हो, उसे भी नूर केह दिया जाता है, जैसे सूरज को नूर केहते हैं, इस लिए कि