Book Name:Har Simt Chaya Noor Hay 12th-Shab-1441
मुबारक से दिल निकाल कर फ़िरिश्तों का उसे धोना और ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) का ज़िन्दा रेहना, येह भी इसी वज्ह से है कि ह़ुज़ूर عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام नूर हैं । (रिसालए नूर मअ़ रसाइले नइ़मिया, स. 9, 10, बित्तग़य्युर)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! नूर रौशनी को केहते हैं, चमक दमक को केहते हैं, उजाले को केहते हैं । हम देखते हैं कि चांद भी रौशन है और सूरज भी रौशन है लेकिन इन दोनों की रौशनी में बड़ा फ़र्क़ है । चांद ख़ुद से रौशन नहीं है बल्कि सूरज की रौशनी से रौशन है जब कि सूरज न सिर्फ़ ख़ुद से रौशन है बल्कि वोह अपना नूर भी दूसरों को बांट रहा है । चांद, तारे और बड़ी बड़ी केहकशाएं, सय्यारे और सितारे येह सब के सब सूरज के नूर से रौशन हैं ।
बिला तश्बीह हमारे नूर वाले आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ भी नूरानिय्यत के सूरज हैं । नूरे ह़क़ीक़ी हो या नूरे अ़क़्ली व मानवी हो, मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ दोनों के मर्कज़ हैं । कई सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان और सह़ाबिय्यात رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُنَّ اَجْمَعِیْن ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के नूर का जल्वा देखा और रिवायतों में बयान भी फ़रमाया । आइए ! इसी बारे में तीन रिवायात सुनते हैं :
﴾1﴿...हुवा हर त़रफ़ उजाला जो ह़ुज़ूर ﷺ मुस्कुराए
ह़ज़रते हिन्द बिन अबी हाला رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का बयान है : नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के गाल मुबारक नर्म व नाज़ुक और बराबर थे, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का मुंह और दांत कुशादा और रौशन थे, जब आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ गुफ़्तगू फ़रमाते, तो आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के दोनों अगले दांतों के दरमियान से एक नूर निकलता था, जब कभी अन्धेरे में मुस्कुरा देते, तो