Book Name:Har Simt Chaya Noor Hay 12th-Shab-1441

प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आइये ! अल्लाह पाक की रिज़ा पाने और सवाब कमाने के लिये पहले अच्छी अच्छी निय्यतें कर लेते हैं :

फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : "نِیَّۃُ الْمُؤمِنِ خَیْرٌ مِّنْ عَمَلِہٖ" मुसलमान की निय्यत उस के अ़मल से बेहतर है (معجم کبیر،۶/۱۸۵،حدیث:۵۹۴۲)

अहम नुक्ता : नेक और जाइज़ काम में जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा

बयान सुनने की निय्यतें

          ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा ٭  टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम के लिये जब तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ  صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ،  वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा ٭  इजतिमाअ़ के बा' ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! रबीउ़ल अव्वल वोह मुबारक और अ़ज़मत वाला महीना है जिस का आ़शिक़ाने रसूल गोया सारा साल इन्तिज़ार करते हैं । इस महीने के आते ही दुन्या भर के मुसलमान अपने मह़बूब आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का यौमे विलादत (यानी मीलाद या मौलूद शरीफ़) बड़ी शानो शौकत और निहायत इ़ज़्ज़तो एह़तिराम से मनाते हैं । रबीउ़ल अव्वल का चांद नज़र आते ही ग़ुलामाने मुस्त़फ़ा, आ़शिक़ाने मीलादे मुस्त़फ़ा ख़ुशी से झूम उठते हैं, गोया हर त़रफ़ बहार का समां होता है, बाग़े उल्फ़त लेहलहाने लगता है, दिलों की कलियां खिलने लगती हैं और ख़ुश नसीबों के लबों पर नातों और दुरूदो सलाम जारी हो जाता है, आ़शिक़ाने रसूल अपने घर,