Book Name:Har Simt Chaya Noor Hay 12th-Shab-1441

मदनी दर्स में बैठने वाला आ़लिम बन गया

          मुल्के अ़त़्त़ार के एक इस्लामी भाई जो नवीं (9th) कलास में पढ़ते थे और दुन्या ह़ासिल करने की कोशिशों में मश्ग़ूल थे, अ़लाके़ के इस्लामी भाई उन को नेकी की दावत दे कर मस्जिद में ले आए जब वोह नमाज़ पढ़ कर मस्जिद से जाने लगे, तो एक ख़ैर ख़्वाह इस्लामी भाई (जो मस्जिद के दरवाज़े के क़रीब खड़े थे) ने उन को दर्स में शिर्कत की दावत दी, लिहाज़ा वोह मदनी दर्स (दर्से फै़ज़ाने सुन्नत) में बैठ गए फिर उन्हों ने इस्लामी भाइयों की इनफ़िरादी कोशिश से मद्रसतुल मदीना (बालिग़ान) में पढ़ना शुरूअ़ कर दिया, हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में शिर्कत की, चन्द हफ़्तों बाद अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ का ज़रीआ़ टेलीफ़ोन बयान रीले हुवा, बयान के बाद अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने इजतिमाई़ तौबा और बैअ़त करवाई, तो वोह इस्लामी भाई भी गुनाहों से तौबा कर के अ़त़्त़ारी बन गए मदनी माह़ोल की बरकत से उन्हों ने इ़ल्मे दीन सीखने के लिए सिने 1999 ई़. में जामिअ़तुल मदीना में दाख़िला ले लिया और सिने 2005 ई़. में आ़लिमे दीन बनने पर उन्हें प्यारे प्यारे मुर्शिदे करीम, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के हाथों से दस्तारे फ़ज़ीलत के त़ौर पर इ़मामा शरीफ़ बंधवाने का शरफ़ भी मिल गया

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! हम नूर वाले आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की नूरानिय्यत के तअ़ल्लुक़ से सुन रहे थे । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सरापा नूर हैं, सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के जिस्मे अक़्दस से नूर की किरनें निकलते हुवे देखते, इसी त़रह़ येह भी मन्क़ूल है कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ जिस चीज़ को चाहते, उसे भी नूर बांटने वाला बना देते थे ।