Book Name:Har Simt Chaya Noor Hay 12th-Shab-1441
प्यारे की आमद...मरह़बा अच्छे की आमद...मरह़बा
सच्चे की आमद...मरह़बा सोहने की आमद...मरह़बा
मोहने की आमद...मरह़बा मुख़्तार की आमद...मरह़बा
पुरनूर की आमद...मरह़बा सरापा नूर की आमद...मरह़बा
आमिना के फूल की आमद...मरह़बा
रसूले मक़्बूल की आमद...मरह़बा
मरह़बा या मुस्त़फ़ा मरह़बा या मुस्त़फ़ा
मरह़बा या मुस्त़फ़ा मरह़बा या मुस्त़फ़ा
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबाओ अहले बैत ! ग़ौर कीजिए ! जो नूरानी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ किसी के चेहरे पर दस्ते अक़्दस फेर दें, तो वोह रौशनी देने लग जाए, जो नूरानी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ छड़ियों और शाख़ पर तवज्जोह फ़रमा दें, तो वोह बल्बों की त़रह़ रौशन हो जाएं, तो ऐसे नूरानी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की अपनी नूरानिय्यत का क्या आ़लम होगा ! इन वाक़िआ़त से येह भी मालूम हुवा कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ात ब ज़ाहिर तो बशरिय्यत थी मगर ह़क़ीक़त में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सरापा नूर ही नूर थे । जैसा कि :
बरकाते नुबुव्वत का ज़ुहूर
मन्क़ूल है : पैदाइश से कुछ दिन पेहले हाथी वालों के हलाक होने का वाक़िआ़ पेश आना, फ़ारस में एक हज़ार साल से भड़कती हुई आग का एक लम्ह़े में बुझ जाना, किस्रा के मह़ल का ज़लज़ला और उस के चौदह कंगुरों का गिर जाना, "हमदान" और "क़ुम" नामी शहरों के दरमियान 6 मील लम्बे, 6 मील चौड़े "बुह़ैरए सावा" नामी दरया का अचानक बिल्कुल ख़ुश्क